इजरायल और हमास के बीच युद्ध के सात दिन पूरे हो गए हैं. लगातार दोनों देशों की सेनाएं बम, गोले, मिसाइलें और रॉकेट से कहर बरपा रही हैं. इस वॉर को लेकर अब जो चर्चाएं तेज हो रही हैं, वो यह हैं कि इसका सॉल्यूशन क्या होगा? समझौते का रास्ता क्या निकलेगा? क्योंकि दुनिया के दिग्गज देश भी खुलकर सामने आने लगे हैं. अरब लीग के देशों ने फिलिस्तीन के समर्थन में हुंकार भरी है तो बड़ी संख्या में वो देश भी हैं, जो इजरायल के साथ खड़े हैं. इस बीच, समझौते को लेकर टू स्टेट सॉल्यूशन समेत अन्य फॉर्मूले पर भी बातें हुईं. लेकिन, फिलहाल कोई कन्क्लूजन निकलते नहीं दिख रहा है. ऐसे में दोनों देशों की लड़ाई अब तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ने के संकेत देने लगी है. चूंकि, इजरायल भी साफ कर चुका है कि वो यह युद्ध तभी खत्म करेगा, जब तक हमास का अंतिम लड़ाका नहीं मारा जाता.
दरअसल, फिलिस्तीन के खिलाफ युद्ध के मैदान में उतरा इजरायल अलग-अलग मोर्चों पर लड़ रहा है. सबसे पहले 7 अक्टूबर को फिलिस्तीन समर्थक हमास लड़ाकों ने अचानक इजरायल में घुसपैठ की और हमला बोल दिया. इजराली नागरिकों की बर्बर हत्या की गई. उनका किडनैप कर ले गए. बाद में इजरायल ने युद्ध की घोषणा की और हमास के खात्मे के लिए सेना को गाजा बॉर्डर पर उतार दिया. वहीं, हमास के समर्थन में लेबनान ने इजरायल पर बम बरसाए. बाद में इजरायल के खिलाफ ईरान और सीरिया की भी एंट्री हुई. इजरायली सेना ने सीरिया के अलेप्पो और दमिश्क अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डों पर रॉकेट दागे हैं. लेबनान भी हमास का साथ दे रहा है. हिजबुल्लाह के लड़ाके हमास के साथ मिलकर इजरायल पर हमले कर रहे हैं. ऐसे में लेबनान और इजरायल के बीच जबरदस्त तनाव है.
'अलग-अलग फ्रंट पर युद्ध लड़ रहा इजरायल'
लेबनान के संगठन हिज्बुल्लाह ने इजरायल पर ताबड़तोड़ मोर्टार दागे हैं, जिसके जवाब में इजरायली सेना ने भी मोर्चा संभाला है. कहा जा रहा है कि ये जंग अब बड़ी होती जा रही है. क्योंकि इजरायल को दक्षिणी-उत्तरी सीमाओं और समंदर से सटे इलाकों से दुश्मनों से मोर्चा लेना पड़ रहा है. हिजबुल्ला और ईरान की भी जंग में एंट्री से मुश्किलें बढ़ना तय हो गया है. यह गौर करने वाली बात है कि किसी भी सरकार ने हमास का खुलकर समर्थन नहीं किया है.

'जल्द सुलझने वाला नहीं है विवाद'
दरअसल, जानकारों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ दो देशों तक सीमित होकर नहीं रह गई है. इसमें अमेरिका से लेकर अन्य महाशक्तियां भी खुलकर सामने आने लगी हैं. यह हालात आने वाले समय में कई चुनौतियों को जन्म देंगे. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले तेज कर दिए हैं, जिसमें आम नागरिकों को भी बड़ा खामियाजा उठाना पड़ रहा है. दोनों देशों की लीडरशिप के रुख से यह अनुमान लग रहा है कि यह युद्ध जल्द सुलझने वाला नहीं है, लेकिन अगर मित्र देश पहल करें और आपसी मतभेद भुलाकर समझौते का प्रयास करें तो संकट दूर किया जा सकता है. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और बहरीन ने हमास हमले की निंदा की है. बाकी मुस्लिम देशों ने हमास को निशाने पर नहीं लिया है.
Israel-Hamas war : हमास के बाद हिज्बुल्ला का नंबर, निशाने पर लेबनान
'जंग तेज हुई तो क्या होंगे नतीजे?'
लेकिन सवाल यही है कि यह महत्वपूर्ण भूमिका कौन निभाएगा? क्योंकि सालभर से ज्यादा समय से यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध चल रहा है. लेकिन, समझौते को लेकर कोई देश आगे नहीं आया है. हालात यह हुए कि वैश्विक महाशक्तियां आपस में बंट गईं. दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और अब इजरायल-फिलिस्तीन के टकराव से सवाल उठ रहा है कि यह जंग तेज हुई तो इसके नतीजे क्या होंगे? क्या अघोषित रूप से दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है?

'तो दुनिया के सामने खड़ी हो जाएंगी समस्याएं?'
जानकार कहते हैं कि इस युद्ध में ना तो फिलिस्तीन को लाभ होने वाला है और ना हमास को. हां, इजरायली गुस्से से हमास खत्म हो सकता है और फिलिस्तीन की मुहिम भी कमजोर हो सकती है. इसके साथ ही अमेरिका और ईरान के साथ इजराइल और ईरान के बीच नई टेंशन हो सकती है. इसके अलावा, सऊदी अरब और इजराइल के बीच डील की संभावनाएं भी खत्म हो जाएंगी. इधर, अमेरिका, इजरायल को लेकर लगातार एक्टिव मोड में है. यूएस ने सबसे पहले खतरनाक हथियारों का जखीरा इजरायल भेजा. हालांकि, इजरायल में हथियारों की आपूर्ति बढ़ाने से यूक्रेन को नुकसान हो सकता है. क्योंकि अमेरिका की यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई कम हो जाएगी. दुनिया में नई समस्याएं खड़ी हो जाएंगी.
'युद्ध लंबा चला तो फ्यूल क्राइसिस बढ़ेगी'
एक्सपर्ट कहते हैं कि ईरान समर्थित हिजबुल्ला और फिलिस्तीन समर्थित हमास एकसाथ आते दिख रहे हैं. जबकि सऊदी अरब, अमेरिका समर्थक रहा है. गाजा का असर अरब देशों और इजरायल के रिश्तों पर पड़ना तय है. पिछले एक महीने से फ्यूल रेट में कमी आना शुरू हुई थी, यह भारत जैसी अन्य कंट्रीज के लिए अच्छी बात थी. लेकिन, यह युद्ध लंबा चला तो इसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा. संभव है कि फ्यूल के रेट बढ़ेंगे और महंगाई से लोगों को दो-चार होना पड़ेगा. हाल ही में 22 देशों के संगठन अरब लीग के चीफ ने टू स्टेट सॉल्यूशन की पहल की है. इस बीच, गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री भी इजरायल पहुंचे और अपना समर्थन जताया है.
'अगर इजरायल ने गाजा पर बमबारी बंद नहीं तो युद्ध के अन्य मोर्चे खुलेंगे...', ईरान की खुली धमकी
'दुनिया की नजरें अरब वर्ल्ड पर...'
फिलहाल, इजरायल और फिलिस्तीन के इस संघर्ष से पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है. फिलिस्तीन के साथ संघर्ष की वजह से पहले भी इजरायल को अरब देशों के साथ युद्ध लड़ना पड़ा है. अब जब एक बार फिर नई जंग शुरू हो गई है तो ऐसे में अरब देशों के साथ टकराव और बढ़ गया है. ईरान, अफगानिस्तान और यूएई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. अन्य खाड़ी देशों का रुख भी ध्यान देने लायक है. ऐसे समय में जब इजरायल और फिलिस्तीन को लेकर दुनिया दो खेमों में बंट गई है. पूरी दुनिया की नजरें अरब वर्ल्ड पर हैं. दो देशों की इस जंग को अरब कंट्री किस तरह देखती हैं.
पढ़ें- दुनिया का कौन देश, किसके साथ खड़ा है...
'गाजा में गहरा सकता है रसद का संकट'
बता दें कि गाजा में बिजली और पानी की सप्लाई ठप है. इजरायल ने गाजा बॉर्डर पर चारों तरफ से नाकेबंदी कर रखी है. इजरायल का कहना है कि जब तक उसके बंदी बनाए गए नागरिकों को नहीं छोड़ा जाता है तब तक वो गाजा में बिजली-पानी की आपूर्ति बंद रखेगा. वहीं, गाजा पट्टी के पास रहने वाले लोगों के जीवन पर संकट आ गया है. यहां यूएन रिलीफ एंड वर्क एजेंसी स्थानीय लोगों को कैंप में रखकर भोजन करवा रही है. हालांकि, इस एजेंसी के पास बहुत ही कम मात्रा में खाना और पानी बचा है. ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि गाजा पट्टी में मुश्किल से 12 दिन का ही रसद है.

'लोगों की मदद करना हो गया मुश्किल'
आने वाले कुछ दिन तक यही हालात रहे तो गाजा पट्टी के एक लाख 80 हजार लोगों के भूखे रहने की नौबत आ जाएगी. एजेंसी की डिप्टी डायरेक्टर जेनेफर ऑस्टिन ने कहा, यहां सड़कों पर मलबा है. सारे रास्ते भी बंद हो गए हैं. कम्युनिकेशन कट गया है. ऐसे में लोगों की मदद करना मुश्किल हो गया है. बताते चलें कि दुनियाभर से पहले ही गाजा के लिए रसद आपूर्ति रोक दी गई है. इजिप्ट से आने वाले संसाधनों को भी होल्ड पर रखा गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि यह युद्ध जल्द ही कोई निष्कर्ष पर पहुंचेगा.
इजरायल के खिलाफ अरब देशों को लामबंद करेगा ईरान, सामने आया मास्टर प्लान
'बदला लेने के मूड़ में उतरा इजरायल'
कहा जा रहा है कि इजरायल पूरी तरह अपने देश के नागरिकों के साथ हुई बर्बरता का बदला लेने के मूड़ में है. यह भी गौर करने वाली बात है कि 2008 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या (1300 से ज्यादा) में इजराली नागरिकों की संघर्ष में जान गई है. वहीं, इजरायल के हमले में 1200 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की भी मौत हुई है. हमास के अटैक से नाराज इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी और पीएम नेतन्याहू ने कहा कि हम युद्ध के मैदान में उतर गए हैं.
'इजरायल ने सेना को दी है खुली छूट'
रक्षा मंत्री ने कहा, हमास ने चूंकि जंग के सारे नियम खत्म कर दिए हैं. इसलिए हम भी गाजा को 180 डिग्री तक बदलने के लिए युद्ध के मैदान में आ गए हैं. वो इस बात के लिए हमेशा पछताएगा. उन्होंने कहा, हमारे सैनिक भी युद्ध के नियमों के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे. उन पर मिलिट्री कोर्ट में कोई केस दर्ज नहीं होगा. वहीं, इजरायल ने युद्ध को लेकर एक वॉर कैबिनेट (यूनिटी गवर्नमेंट) का गठन किया है. इसमें पीएम नेतन्याहू, विपक्षी नेता बेनी गैंट्ज और रक्षा मंत्री योग गैलेंट को रखा गया है.
यह भी पढ़ें- हमास के हमले से सऊदी अरब के मंसूबों पर फिरा पानी, कई मुस्लिम देश भी होंगे मायूस
यह भी पढ़ें- इजरायल के साथ खड़े हुए ये दो मुस्लिम देश! बाकी इस्लामिक मुल्कों से क्यों ली अलग लाइन